क्या है टीबी की बीमारी, लक्षण, बचाव और आहार, जानें विस्तार से: TB patient diet chart in hindi
(टीबी की बीमारी उन गंभीर संकरामक बीमारियों में से एक है। जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। टीबी की बीमारी फेफड़ों से संबंधित होती है। लेकिन अगर इसके लक्षणों की पहचान शुरुवात में हो जाए तो बेहतर है। इसलिए आज इस लेख मे हम आपको टीबी के लक्षण, बचाव ,एवं खाए जाने वाले आहार के बारे में बताएंगे। ताकि आप समय पर इसकी पुष्टि करके इससे बचाव कर पाएँ। तो चलिए जानते हैं विस्तार से) (tb mai kya khana chahiye)
क्या है टीबी की बीमारी: (what is Tuberculosis disease)
टी.बी. एक संकरामक बीमारी है। जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से फेलती है। इस बीमारी में रोगी के संपर्क तक में आने से आपको ये प्रभावित कर सकता है। डॉक्टर्स के मुताबिक खांसने, छींकने और बात करते वक्त निकलने वाली छोटी छोटी बूंद; सांस के जरिए इंसान में संक्रमण को फैलाने का काम करते हैं।
जब आप टीबी से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में लंबे समय तक रहते हैं। तो संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है। अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है। तो आपको ऐसी गंभीर समस्या होने की संभावना कम होगी। जिनके फेफड़े या शरीर कमज़ोर होता है। उन्हे ऐसी गंभीर बीमारियाँ जल्दी चपेट में लेती है।
टीबी की बीमारी का सबसे पहला और सामान्य लक्षण है; बलगम या खून वाली लंबी खांसी। जी हाँ, कहा जाता है कि अगर आपकी खांसी 2-3 हफ्ते के अंदर सामान्य नहीं होती। तो ये ध्यान देने वाला विषय है। खांसी का लंबे समय तक रहना टीबी का संकेत हो सकता है। यही नही अगर आपको बार बार खांसी की समस्या होती है। तो इसे नजरंदाज न करें। टीबी की बीमारी लंबे समय तक रहती है। और इसके ठीक होने की संभावना कम होती है।
टीबी की समस्या सिर्फ फेफडों तक सीमित नही होती। ये अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है। जैसे हमारी किडनी, हड्डियां, आंत, दिमाग आदि। लेकिन कुछ अंग ऐसे है; जो विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सिस्टेम (GI), रेस्पिरेटरी सिस्टेम, लिम्फोरिटिक्युलर सिस्टम, स्किन, सेंट्रल नर्वस सिस्टम, रिप्रोडक्टिव सिस्टम, मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम और लिवर। इसलिए अगर आप इसके लक्षण की पुष्टि समय पर कर लेते है। तो आपको इसके बचाव में काफी राहत मिल जाएगी। साथ ही कुछ ऐसे आहार है। जिनका सेवन आपको इस समस्या में राहत प्रदान करेगा। तो चलिए आपको बताते है इसके लक्षण ,प्रकार , बचाव और ये कि आपको टीबी में क्या खाना चाहिए।
टीबी के प्रकार: (Types of TB)
- एक्टिव टीबी (Active Tuberculosis): इस स्थिति में टीबी के लक्षण सक्रिय रहते हैं। और दूसरे में संक्रमण फैलने की काफी अधिक संभावना होती है।
- लेटेंट टीबी (Latent tuberculosis): इस स्थिति में टीबी के लक्षण सक्रिय नही होते। क्योंकि इसमें व्यक्ति बैक्टीरिया को संचारित तो करता है, लेकिन उसमें टीबी के कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते । क्योंकि इस दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है। और काफी हद तक लक्षणों को दबाया जा सकता है। इस स्थिति में एक रोगी से दूसरे व्यक्ति में बीमारी नहीं फैलती । हालांकि भविष्य में इसके बैक्टीरिया सक्रिय भी हो सकते हैं।
ट्यूबरकुलोसिस को अन्य दो भागों में बांटा जा सकता है; जिसमें पल्मोनरी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी शामिल हैं।
- पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस (Pulmonary tuberculosis)
इस स्टेज में फेफड़े प्रभावित होते है। और ये ट्यूबरकुलोसिस का प्राथमिक रूप है। अधिकतर मामलों में यह बच्चों या बूढ़ों में ज्यादा देखने को मिलता है।
- एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस (Extra Pulmonary Tuberculosis)
यह फेफड़ों से अन्य जगहों पर होता है। जैसे कि हड्डियां, किडनी और लिम्फ नोड आदि। ट्यूबरकुलोसिस का ये प्रकार प्राथमिक रूप से कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति में अहम रूप से होता है।
टीबी के लक्षण: (Symptoms of tb)
- तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना
- सांस फूलना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना
- सीने में तेज दर्द होना
- अचानक से वजन का घटना
- भूख में कमी आना
- बलगम के साथ खून आना
- फेफड़ों का संक्रमण होना
- लगातार खांसी आना
- अस्पष्टीकृत थकान होना
- बुखार आना
टीबी की समस्या में फेफड़े तो प्रभावित होते ही हैं। लेकिन इसके साथ साथ अन्य अंग; जैसे कि गुर्दे, रीढ़ और मस्तिष्क भी बेहद प्रभावित होते है। और सभी अंग पर इसके लक्षण का प्रभाव विभिन्न प्रकार से होता है।
कई बार टूबर्क्यूलोसिस की समस्या फेफड़ों से बाहर मौजूद अंगों में भी हो सकती। जैसे छोटी ग्रंथियां, हड्डियां व जोड़, पाचन तंत्र, मूत्राशय व प्रजनन प्रणाली (reproductive system) और मस्तिष्क व नसें आदि।
इस दौरान दिखने वाले लक्षण: (More symptoms during tb)
- लकवा लगना
- पेट में दर्द होना
- ग्रंथियों में स्थिर सूजन होना
- डायरिया की शिकायत होना
- पीठ में अकड़न होना
- प्रभावित हड्डी में दर्द और उसकी कार्यशीलता में कमी आना
- भ्रम होना
- सिर में स्थिर दर्द होना
- कोमा की स्थिति होना
- दौरा पड़ना
इन बातों का रखें ध्यान: (keep these things in mind)
- दो हफ्तों से अधिक लंबी खांसी पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें
- ट्यूबरकुलोसिस के मरीज से दूरी बनाकर बात करें और मास्क अवश्य लगाएं
- ट्यूबरकुलोसिस वाले व्यक्ति के बिस्तर, रुमाल या तैलिया आदि का इस्तेमाल न करें
- अगर आपके आस-पास कोई खांस रहा है तो अपने मुंह को रुमाल से ढक लें और वहां से दूर हट जाएं
- ट्यूबरकुलोसिस के मरीज से संपर्क में आने के बाद हाथ और मुंह को अच्छी तरह धोएं और कुल्ला करें
- विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है
टीबी में क्या खाना चाहिए: (TB diet chart in hindi)
फलों का सेवन
टीबी की समस्या में आपको फलों का सेवन करना चाहिए। इनके अंदर विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे विटामिन , कैल्सीयम, फायबर, फॉसफोरोस , मेग्नीशियम आदि । इससे प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। सेब, केला जैसे फलों का सेवन टीबी में असरदार माना जाता है।
कुईनवा दलिया (Quinoa dalia)
कुईनवा दलिया का सेवन विभिन्न गंभीर समस्याओं में फायदा देता है। इसमें विभिन्न प्रकार के ज़रूरी तत्व मौजूद होते है। डायबिटीज , प्रेग्नन्सी , वज़न की समस्या से लेकर टीबी की समस्या तक में इसे खाया जा सकता है। इसे बनाने की विधि भी बेहद आसान है। टीबी के मरीज इसका सेवन रोजन सुबह नाश्ते में कर सकते है। आप कुईनवा चिप्स का सेवन भी स्नैक्स के रूप में कर सकते हैं।
रागी से बने पदार्थ
टीबी की समस्या में रागी से निर्मित पदार्थ लाभ प्रदान करता है। जैसे रागी के चिप्स, रोटी आदि। इसके अंदर कई प्रकार के महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं। जो टीबी की समस्या में सहायक होते हैं। अपने दैनिक आहार में रागी की रोटी का सेवन अवश्य करें।
प्रोटीन युक्त पदार्थ
एक शोध के मुताबिक टीबी की समस्या में प्रोटीन का सेवन लाभदायक होता है। प्रोटीन का सेवन टीबी की समस्या से लड़ने में सहायता करता है। इसलिए अपने आहार में ये सुनिश्चित करें; कि प्रोटीन की भरपूर मात्रा उसमे मौजूद हो। प्रोटीन पाने के कई स्त्रोत हो सकते है। जैसे कि आप प्रोटीन बार का भी सेवन कर सकते हैं। इसके अंदर प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। साथ ही ये टीबी की समस्या में बेहद लाभकारी होता है। आप इसे स्नैक्स के रूप में भी खा सकते हैं।
सोया युक्त पदार्थ
टीबी की समस्या में सोया युक्त पदार्थ भी गुड़कारी होते हैं। इसमें प्रोटीन, मिनरल्स और ज़रूरी विटामिन भी मौजूद होते हैं। अगर आपको सोया से बने पदार्थ कम पसंद है, तो आप स्वादिष्ट सोया चिप्स स्नैक्स भी के रूप में खा सकते हैं। इससे आपके शरीर को सोया में मौजूद सभी तत्व आसानी से प्राप्त हो जाएंगे।
बीज का सेवन है गुड़कारी
टीबी की समस्या से राहत पाना चाहते हैं। तो आप भरपूर मात्रा में उन पदार्थों का सेवन करें। जिनमे जिंक प्रचुर मात्रा में मौजूद हो। आप बीजों का सेवन करके भी जिंक की मात्रा प्राप्त कर सकते हैं। जैसे कि सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, चिया के बीज, अलसी के बीज आदि। इनके सेवन से न सिर्फ आपको जिंक भरपूर मिलेगा। बल्कि अन्य तत्वों की प्राप्ति भी होगी। ये सभी बीज शरीर की कई गंभीर समस्या में लाभदायक होते हैं।
ड्राइ फ्रूट्स का सेवन
ड्राइ फ्रूट्स ऐसे पदार्थ हैं। जिनका सेवन आपको हर तरह की समस्या एवं गंभीर बीमारी में सहायता करता है। ड्राइ फ्रूट्स की यही विशेषता है कि इन्हें पोषक तत्वों का खज़ाना कहा जाता है। क्यूंकि इसमें विटामिन, कैल्सीअम, मिनेरल्स, आइअर्न, फायबर, प्रोटीन , पोटेशियम , मेग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते है। इसलिए टीबी में इसका सेवन आपके लिए अत्यंत गुड़कारी होगा। आप ड्राइ फ्रूट्स का सेवन रात भर इन्हें पानी में भिगोकर सुबह कर सकते है। इससे ये आपको बेहतर लाभ प्रदान करेंगे।
आप ड्राइ फ्रूट्स का सेवन दोपहर या शाम के वक्त स्नैक्स के रूप में भी कर सकते हैं। आप हेल्थी ड्राइ फ्रूट्स के सेवन के लिए Healthy Master के ड्राइ फ्रूट्स की सामग्री भी आज़मा सकते हैं। इनके पास आपको ड्राइ फ्रूट्स कई तरह की स्वादिष्ट वैराइटी में मिल जाएंगे। साथ ही इनका सेवन टीबी में भी आपके लिए उचित होगा।
निष्कर्ष: (Conclusion)
टीबी जैसे गंभीर समस्या शरीर में पोषण की कमी के कारण होती है। इसीलिए बेहद ज़रूरी है अपने शरीर का विशेष रूप से ध्यान रखना। जैसे कि हेल्थी आहार खाना और नियमित व्यायाम या अन्य कोई शारीरिक गतिविधी। साथ ही जंक फूड का अधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक होता है। इसलिए कोशिश करें कि जंक फूड जितना हो कम ही खाएं। इसकी जगह आप हेल्थी पदार्थों का सेवन करें। साथ ही फल, सब्जियां, ड्राइ फ्रूट्स भरपूर मात्रा में खाएँ। इसके साथ आप स्पराउट्स , चने एवं सोयाबीन जैसे पदार्थ का सेवन भी अपने आहार में शामिल करें। शरीर को जब सभी पोषक तत्व भरपूर मिलेंगे। तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होगी। प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होने से शरीर बीमारियों से दूर रहता है। इसके साथ ही आप टीबी की समस्या में स्वाद और स्नैक्स के लिए Healthy Master के पदार्थ भी देख सकते हैं। इनका सेवन आपके लिए स्वाद और पोषण दोनों में उचित और हेल्थी होगा।